अरबों की सरकारी जमीन में करोड़ों का खेल : असफरों की मिलीभगत से बनवा दी बड़ी- बड़ी फैक्ट्रियां, कमिश्नर बोले- बख्शे नहीं जाएंगे दोषी

रामगंगा नदी के किनारे 74 मीटर की दूरी तक की जो जमीन तटबंध के लिए रिजर्व थी, उसपर जिगर कालोनी से लेकर जामा मस्जिद तक 4000 अवैध कब्जे कर लिए गए। इस खेल में सिंचाई विभाग, MDA,प्रदूषण नियंत्रण विभाग और नगर निगम के अधिकारियों की भूमिका उजागर हुई है।

अरबों की सरकारी जमीन में करोड़ों का खेल : असफरों की मिलीभगत से बनवा दी बड़ी- बड़ी फैक्ट्रियां, कमिश्नर बोले- बख्शे नहीं जाएंगे दोषी
10 लाख वर्ग मीटर भूमि पर 4000 अवैध कब्जे

मुरादाबाद में करीब 400 करोड़ रुपए की जमीन को ठिकाने लगाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। रामगंगा के किनारे जिस सरकारी जमीन पर तटबंध बनाया जाना है, उस पर सिंचाई विभाग, पॉल्यूशन कंट्रोल डिपार्टमेंट, एमडीए और नगर निगम के इंजीनियरों ने बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां, बारातघर, मकान और कोठियां बनवा दी हैं।

कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह के आदेश पर गठित टीम ने सर्वे में नदी की जमीन पर 4000 अवैध निर्माण चिन्हित किए हैं। इतने बड़े स्केल पर सरकारी जमीन पर हुए कब्जे से नाराज कमिश्नर ने मुरादाबाद के डीएम से रिपोर्ट तलब की है। कमिश्नर ने उन इंजीनियरों के नामों की लिस्ट मांगी है, उनकी मिलीभगत से नदी की जमीन पर यह कब्जे हुए।

रामगंगा नदी के किनारे 74 मीटर की दूरी तक की जो जमीन तटबंध के लिए रिजर्व थी, उसपर जिगर कालोनी से लेकर जामा मस्जिद तक 4000 अवैध कब्जे कर लिए गए। इस खेल में सिंचाई विभाग, MDA,प्रदूषण नियंत्रण विभाग और नगर निगम के अधिकारियों की भूमिका उजागर हुई है।

74 मीटर की दूरी तक बैन है कंस्ट्रक्शन : MDA (मुरादाबाद विकास प्राधिकरण ) बोर्ड की 30 सितंबर 2014 को हुई 110वीं बैठक में रामगंगा किनारे 12 किमी लंबे तटबंध का एलाइनमेंट पास कर दिया गया था। कोठीवाल डेंटल कॉलेज से लेकर मछरिया गांव तक बनने वाले इस तटबंध के लिए जमीनों के सिजरा नंबर भी फिक्स कर दिए गए थे। तत्कालीन कमिश्नर सुधीर गर्ग की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में एमडीए, सिंचाई विभाग, नगर निगम, नगर नियोजक, पीडब्ल्यूडी समेत सभी विभागों के अफसर मौजूद थे।

इसी बैठक में प्रस्ताव पास हुआ था कि नदी किनारे 74 मीटर की दूरी तक की भूमि तटबंध के लिए रिजर्व की गई है। इस भूमि पर न तो कोई निर्माण होगा और न ही यहां खरीद फरोख्त होगी। नदी की जमीन होने की वजह से इसकी देखरेख का जिम्मा सिंचाई विभाग के पास था। लेकिन इन आदेशों को ताक पर रखकर जिगर कालोनी, चक्कर की मिलक, दसवां घाट, नवाबपुरा, काली मंदिर, बरबलान, जामा मस्जिद और कटघर पुल एरिया में 4000 अवैध निर्माण 74 मीटर के भीतर करा दिए गए।

नदी से 74 मीटर की दूरी तक निर्माण पर बैन है, उसके बाद भी यहां निर्माण कर लिए गए।

सालों से जमे इंजीनियरों का दामन दागदार : जिगर कॉलोनी से लेकर जामा मस्जिद तक रामगंगा नदी के किनारे की करीब 10 लाख वर्ग मीटर भूमि पर 4000 अवैध कब्जे हुए हैं। जिसकी कीमत करीब 400 करोड़ रुपए है। कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह के आदेश पर गठित टीम ने भी 4000 अवैध कब्जे होने की रिपोर्ट दी है। इन अवैध कब्जों में सबसे ज्यादा दामन सिंचाई विभाग के उन इंजीनियरों का दागदार है, जो यहां सालों से जमे हुए हैं।

अरबों की सरकारी जमीन में करोड़ों का खेल : नदी की जमीन पर फैक्ट्रियों का निर्माण कराने की एवज में करोड़ों रुपए की डील होने के आरोप लग रहे हैं। नदी की जमीन पर कब्जा कर फैक्ट्रियां बनाने वालों ने पहले सिंचाई विभाग से डील की फिर निर्माण के लिए एमडीए के इंजीनियरों से सौदा किया। पॉल्यूशन कंट्रोल डिपार्टमेंट के अफसर भी कठघरे में खड़े हैं। कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह का भी मानना है कि सिंचाई विभाग के इंजीनियरों की मिलीभगत के बगैर इतने बड़े पैमाने पर नदी की जमीन में फैक्ट्रियां नहीं बन सकती हैं।

सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सुभाष चंद्रा का कहना है कि जमीन बेशक उनके विभाग की है, लेकिन इस पर हुए अवैध कब्जों के लिए MDA और नगर निगम जिम्मेदार है। AE का कहना है कि निर्माण नक्शे से होता है। MDA बताए कि नदी की जमीन पर हुए इन 4000 अवैध निर्माणों के नक्शे किसने पास किए। सिंचाई विभाग के AE का कहना है कि उनके पास जमीन की रखवाली करने का कोई तंत्र नहीं है। अवैध कब्जों को रोकने की जिम्मेदारी एमडीए और नगर निगम की थी।

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के सचिव सर्वेश कुमार गुप्ता का कहना है कि MDA के जेई की जिम्मेदारी तय करके कार्रवाई की जाएगी। लेकिन जमीन सिंचाई विभाग की थी, उन्होंने कब्जे क्यों होने दिए। ये बात कैसी मानी जा सकती है कि सिंचाई विभाग की जमीन पर एक-दो नहीं बल्कि 4000 अवैध बिल्डिंगें बन गईं और उन्हें पता ही नहीं चला।

प्रदूषण नियंत्रण महकमा भी बराबर का जिम्मेदार है। रामगंगा किनारे 74 मीटर के दायरे में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां कैसे चल रही हैं। क्या यह प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अफसरों की बगैर जानकारी के मुमकिन है? वायु प्रदूषण के साथ-साथ ये फैक्ट्रियां रामगंगा में भी केमिकल से प्रदूषण फैला रही हैं। लेकिन प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।

नदी की जमीन में फैक्ट्रियां बनीं, बैंकों ने लोन भी दे दिए : रामगंगा नदी की अरबों रुपये की जमीन पर हुए कब्जे में सारे महकमों का दामन दागदार है। नदी के भीतर बनी फैक्ट्रियों को बैंकों ने ऋण देने में भी दरियादिली दिखाई है। कई-कई हजार वर्ग मीटर में हुए इन अवैध निर्माणों पर एमडीए, सिंचाई विभाग, नगर निगम और पॉल्यूशन कंट्रोल डिपार्टमेंट ने कोई एक्शन नहीं लिया। अरबों रुपये की सरकारी जमीन पर हुए कब्जों में करोड़ों रुपये की घूस के आरोप लगते रहे हैं।

कमिश्नर बोले- बख्शे नहीं जाएंगे दोषी : मुरादाबाद के कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर नदी की जमीन में बड़ी- बड़ी फैक्ट्रियां बिना विभागीय मिलीभगत के नहीं बन सकतीं। जब ये फैक्ट्रियां बन रही थीं और अवैध कब्जे हो रहे थे तो आखिर सिंचाई विभाग के इंजीनियर क्या कर रहे थे। कमिश्नर का कहना है कि दोषियों को कतई बख्शा नहीं जाएंगे। DM से रिपोर्ट मांगी गई है। दोषियों के नाम आते ही उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।