प्रधानमंत्री आवास के नाम पर ठगने वाला गिरफ्तार, क्राइम ब्रांच ने एक को पकड़ा, दूसरा फरार खाते फ्रीज कराए, करोड़ों का मिला ट्रांजेक्शन : कानपुर

कृष्णा नगर निवासी अभिषेक द्विवेदी ने 22 नवंबर को चकेरी थाने में अज्ञात के खिलाफ ठगी की एफआईआर दर्ज कराई थी। अभिषेक को शख्स ने कॉल कर बताया था कि वह प्रधानमंत्री आवास आवंटन कार्यालय से बोल रहा है। आवंटन के लिए राशि जमा कर पंजीकरण कराएं। पुलिस को आरोपियों के चार बैंक खाते मिले हैं, जिन्हें फ्रीज करवा दिया गया है। इनमें साढ़े छह लाख रुपये हैं। पुलिस ने जब बैंक डिटेल खंगाली तो खातों में तीन वर्षों के दौरान कई करोड़ के ट्रांजेक्शन मिले हैं।

प्रधानमंत्री आवास के नाम पर ठगने वाला गिरफ्तार, क्राइम ब्रांच ने एक को पकड़ा, दूसरा फरार खाते फ्रीज कराए, करोड़ों का मिला ट्रांजेक्शन : कानपुर
प्रधानमंत्री आवास के नाम पर ठगी करने वाला एक गिरफ्तार

क्राइम ब्रांच ने रविवार को प्रधानमंत्री आवास दिलाने के नाम पर ठगने के आरोप में कानपुर देहात के सीतलपुर गंगरौली निवासी बदलू को गिरफ्तार किया है। उसका सगा छोटा भाई प्रभुदयाल फरार है। पुलिस के अनुसार इनका गिरोह देशभर में एक हजार लोगों से करोड़ों रुपये ठग चुका है।

कृष्णा नगर निवासी अभिषेक द्विवेदी ने 22 नवंबर को चकेरी थाने में अज्ञात के खिलाफ ठगी की एफआईआर दर्ज कराई थी। अभिषेक को शख्स ने कॉल कर बताया था कि वह प्रधानमंत्री आवास आवंटन कार्यालय से बोल रहा है। आवंटन के लिए राशि जमा कर पंजीकरण कराएं।

अभिषेक ने उसके झांसे में आकर कुछ रकम जमा कर दी थी। तब ठगी का पता चला। मामला क्राइम ब्रांच ट्रांसफर हो गया था। एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर के मुताबिक बदलू और प्रभुदयाल लोगों को ठगते थे। 

ऐसे ठगते थे : प्रधानमंत्री आवास के आवंटन की लिस्ट के जरिये आरोपी लोगों को ठगी के लिए चुनते थे। वह आवंटी को फोन कर रजिस्ट्रेशन के नाम पर पहले 450 रुपये जमा कराते थे और किस्त के नाम पर 13 हजार रुपये लेेते थे। कई लोगों से आरोपी कई-कई महीने तक किस्त वसूलते रहते थे। साथ ही उनके पास आवेदकों की भी लिस्ट मिली है। ये कहां से आई पुलिस इसकी जांच कर रही है। 

खाते फ्रीज कराए, करोड़ों का मिला ट्रांजेक्शन  :  पुलिस को आरोपियों के चार बैंक खाते मिले हैं, जिन्हें फ्रीज करवा दिया गया है। इनमें साढ़े छह लाख रुपये हैं। पुलिस ने जब बैंक डिटेल खंगाली तो खातों में तीन वर्षों के दौरान कई करोड़ के ट्रांजेक्शन मिले हैं। इसके जरिये टीम पता कर रही है कि क्या गिरोह में और भी लोग हैं। पुलिस खाते के जरिये ही उनतक पहुंची। जांच में सामने आया कि गरीब, मजदूर लोगों के  खाते खुलवाकर आरोपी उसमें रकम जमा कराते थे। कुछ खाते फर्जी भी खुलवाए थे। जिससे पुलिस उन तक न पहुंच सके।