लखनऊ में रेलवे ठेकेदार वीरेंद्र ठाकुर ठेकेदार को मारने के बाद सबूत भी साथ लेकर ले गए हत्यारे

वीरेंद्र ठाकुर को अपने ऊपर हमले की आशंका थी। इसीलिए उसने जनवरी में ही निजी सुरक्षा एजेंसी से चार सुरक्षाकर्मी ले रखे थे जो 24 घंटे उसके साथ चलते थे। शनिवार को वीरेंद्र के घर पर तीन ही सुरक्षाकर्मी मौजूद थे जो वारदात के बाद से ही लापता बताए जा रहे हैं।

लखनऊ में रेलवे ठेकेदार वीरेंद्र ठाकुर ठेकेदार को मारने के बाद सबूत भी साथ लेकर ले गए हत्यारे
जांच के दौरान फोरेंसिक टीम

राजधानी लखनऊ के निलमथा बाजार में रेलवे ठेकेदार वीरेंद्र ठाकुर की शनिवार को दिनदहाड़े हुई हत्या की जांच पुलिस कर रही है। वीरेंद्र के घर पर पुलिस को जो साक्ष्य और जानकारियां मिली हैं। उसके अनुसार, हत्यारे पूरी तैयारी से आए थे। हत्यारे वारदात को अंजाम देने के बाद सीसीटीवी कैमरे की डीवीआर भी उठा ले गए। बता दें कि डीवीआर वीडियो रिकॉर्डर होता है जिसे हार्डड्राइव भी कहते हैं। इससे कहा जा रहा है कि हत्यारे पूरी योजना बनाकर आए थे।

डीसीपी पूर्वी कासिम आब्दी के मुताबिक, मूलरूप से बिहार के पश्चिमी चंपारण के बेतिया जिला निवासी वीरेंद्र ठाकुर कैंट एरिया के निलमथा बाजार में परिवार सहित रहते थे। परिवार में दूसरी पत्नी खुशबू, तीन बेटे अभिषेक, ऋषि और अंश (सभी पहली पत्नी प्रियंका से हैं) परिजनों के मुताबिक, शनिवार दोपहर करीब 12.30 बजे तीन बदमाश घर के अंदर दाखिल हुए जो सेना की वर्दी पहने थे।

घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मी। 

उन्होंने घुसते ही बच्चों को एक कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद वीरेंद्र ठाकुर के कमरे में गए जहां वे बेड पर लेटे हुए थे। बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इसमें से वीरेंद्र को दो गोलियां लगीं। गंभीर हालत में परिजन उनको लेकर सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

जनवरी से ले रखी थी निजी सुरक्षा : वीरेंद्र ठाकुर को अपने ऊपर हमले की आशंका थी। इसीलिए उसने जनवरी में ही निजी सुरक्षा एजेंसी से चार सुरक्षाकर्मी ले रखे थे जो 24 घंटे उसके साथ चलते थे। शनिवार को वीरेंद्र के घर पर तीन ही सुरक्षाकर्मी मौजूद थे जो वारदात के बाद से ही लापता बताए जा रहे हैं। पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के मुताबिक, हमलावर नकाबपोश थे। शुरूआती पड़ताल में सामने आया है कि बदमाशों ने सुरक्षाकर्मियों, बच्चों को कमरे में बंद कर दिया। लेकिन वारदात के बाद से एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं मिला है। इस बिंदु पर भी पड़ताल की जा रही है।

किलाबंद घर, सीसीटीवी कैमरे से लैस : वीरेंद्र तीन साल पहले हुए हमले के बाद से खुद की सुरक्षा को लेकर काफी संजीदा हो गया था। उसने पूरे घर को एक किले की तरह बनवा रखा था। घर के दरवाजे और दीवारों में जगह तक नहीं छोड़ी। वहीं चारदीवारी पर कंटीले कील लगवा रखे थे ताकि कोई अंदर न दाखिल हो सके। घर के अंदर से लेकर बाहर हर तरफ सीसीटीवी कैमरों का जाल है। वह लगातार अपने कमरे में बैठकर खुद ही कैमरों में आने जाने वालों पर नजर रखता था।

जांच के लिए घर में मौजूद पुलिस कमिश्नर डी के ठाकुर व अन्य

बिना आदेश के नहीं खुलता था दरवाजा : पुलिस के मुताबिक, पड़ताल में सामने आया है कि सुरक्षाकर्मी बिना वीरेंद्र की अनुमति के दरवाजा नहीं खोलते थे। वह सिर्फ अपने करीबी परिचितों को ही अक्सर घर के अंदर आने की अनुमति देता था। बाकी लोगों से काम पूछकर दरवाजे से ही वापस भेज देता था। यहां तक कि मोहल्ले में किसी से नहीं मिलता था। दूसरी पत्नी खुशबू ने पुलिस को बताया कि वीरेंद्र सिर्फ दीपावली में या किसी विशेष जरूरत पर ही घर से निकलता था। उसके साथ हरवक्त सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते थे।

बिहार में दर्ज हैं कई मुकदमे, पुलिस खंगाल रही वजह : एडीसीपी पूर्वी कासिम आब्दी के मुताबिक, वीरेंद्र ठाकुर पर बेतिया जिले में कई मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस ने बेतिया एसएसपी से संपर्क कर उसके आपराधिक इतिहास की जानकारी मांगी है। शुरूआती बातचीत में 6-7 केस दर्ज होने की बात सामने आई है। आपराधिक  इतिहास की जानकारी मिलने इसे भी विवेचना में शामिल किया जाएगा। पुलिस की एक टीम जहां बिहार से जुड़े मामलों की डिटेल खंगाल रही है तो एक टीम वीरेंद्र ठाकुर के लखनऊ से जुड़ी जानकारियां जुटा रही है। पुलिस के मुताबिक, बिहार के पुरानी रंजिश में हत्या होने की ज्यादा आशंका है। वहीं लखनऊ में रेलवे के ठेकेदार का विवाद भी हत्या का कारण हो सकता है। पहली पत्नी से विवाद की भी जांच की जा रही है।

वारदात के बाद भागे सुरक्षाकर्मी भी संदेह के घेरे में : एडीसीपी पूर्वी के मुताबिक, वारदात के बाद जब पुलिस घर पहुंची तो सुरक्षाकर्मियों के बारे में जानकारी मांगी गई। इस पर पत्नी ने बताया कि गोली चलने के बाद ही तीनों सुरक्षाकर्मी वहां से अपना सारा सामान लेकर भाग गए। उन्होंने कहा कि हमारी जान को खतरा है। हम यहां नहीं रुक सकते। पुलिस, सुरक्षाकर्मियों की भी कुंडली खंगाल रही है।

13 साल से लखनऊ में बनाया था ठिकाना : वीरेंद्र ठाकुर ने पिछले 13 साल से लखनऊ में अपना ठिकाना बना रखा था। वह खुद की पहचान छिपाने के लिए आसपास के लोगों से भी नहीं मिलता था। यहां तक कि बच्चे मोहल्ले में होली या दिवाली पर ही लोगों से मिलने जाते थे। वह खुद भी घर न के बराबर ही निकलता था।