सीएम के मंसूबो पर पलीता लगा रहे गन्ना आयुक्त : निजी करपोरैट मिल मालिकों को गन्ना आयुक्त का संरक्षण प्राप्त

बीते चार साल से गन्ना आयुक्त का प्रभार संभाले अपर मुख्य सचिव गन्ना अपने निजी स्वार्थों की वजह से गन्ना क़िसानो के समय से गन्ना मूल्य भुगतान कराने के मुख्यमंत्री के दावे पर पानी फेरते नज़र आ रहे है। किसानों के बकाया मूल्य का समय पर भुगतान नही होने का सीधा असर आगामी होने वाले विधान सभा चुनावों में देखने को मिल सकता है।

सीएम के मंसूबो पर पलीता लगा रहे गन्ना आयुक्त : निजी करपोरैट मिल मालिकों को गन्ना आयुक्त का संरक्षण प्राप्त
नए पेराई सत्र से पहले कैसे हो पायेगा गन्ना क़िसानो का बकाया भुगतान

लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री की किसानों के हित में लिए गए फैसलों पर गन्ना आयुक्त पलीता लगा रहे है।  गन्ना आयुक्त के निजी कारपोरेट की चीनी मिलों को दिए जा रहे संरक्षण की वजह से किसानों के बकाया गणना मूल्य के भुगतान का सपना पूरा होता नजर नही आ रहा है। सरकार पिछले चार सालो से गन्ना क़िसानो की आय दुगनी करने के लिए लगातार प्रयासरत है। बीते चार साल से गन्ना आयुक्त का प्रभार संभाले अपर मुख्य सचिव गन्ना अपने निजी स्वार्थों की वजह से गन्ना क़िसानो के समय से गन्ना मूल्य भुगतान कराने के मुख्यमंत्री के दावे पर पानी फेरते नज़र आ रहे है। किसानों के बकाया मूल्य का समय पर भुगतान नही होने का सीधा असर आगामी होने वाले विधान सभा चुनावों में देखने को मिल सकता है। खास तौर पर यह असर 45 गन्ना प्रभावित ज़िलों में पड़ना तय माना जा रहा है ।

भुगतान न होने का चुनाव पर हो सकता असर

लखनऊ। नया पेराई सत्र शुरू होने से पहले पिछले सत्र का बकाया लगभग इकसठ हज़ार करोड़ का गन्ना  भुगतान क़िसानो को करा दिया जाएगा परंतु वास्तविकता इसके बिलकुल विपरीत नज़र आती है क्योंकि नया पेराई सत्र शुरू होने में मात्र डेढ़ महीना ही बचा है। क़िसानो के बकाया गन्ना मूल्य का समय पर इतनी बड़ी धनराशि का भुगतान गन्ना आयुक्त द्वारा कराया जाना सम्भव प्रतीत नही होता। विगत वर्ष भी नया पेराई सत्र शुरू होने से पहले गन्ना क़िसानो का लगभग चार हज़ार करोड़ रुपया गन्ना मूल्य का बकाया रह गया था जिसे गन्ना आयुक्त ने गुपचुप तरीक़े से सारे नियमो को ताक पर रखकर अगले पेराई सत्र के शुरू होने पर नई उत्पादित चीनी की बिक्री से करवा कर वाहवाही लूटी थी । इस साल विधान सभा के आगामी चुनावों को देखते हुए क़िसानो के बकाया भुगतान का समय से पेमेंट ना होने का ख़ामियाज़ा सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

पश्चिमी व सेंट्रल यूपी के किसान तीनो कृषि क़ानूनों को लेकर भारत सरकार के ख़िलाफ़ लामबंद है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश की 120 चीनी मिलो में पेराई सत्र 2020-21 का अभी तक कुल लगभग 6100 करोड़ रुपये का गन्ने का मूलधन भुगतान बकाया है। इस धनराशि में यदि सुप्रीमकोर्ट के आदेशानुसार ब्याज की देयता जोड़ दी जाये तो भाजपा सरकार के कार्यकाल की गन्ना मूल्य भुगतान की बकाया राशि दस हज़ार करोड़ से ऊपर पहुँच जाएगी । बीते दिनों प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना क़िसानो के साथ मीटिंग करते  यह घोषणा की है कि नया पेराई सत्र 2021-22 के प्रारम्भ होने से पूर्व समस्त गन्ने का बकाया भुगतान करा दिया जाएगा।

सूत्रों की माने तो कुल बकाया 6100 करोड़ की भारी भरकम मूलधन की राशि को देखते हुए मुख्य मंत्री की घोषणा असम्भव प्रतीत होती नज़र आ रही है। इसकी मुख्य वजह यह बताई जा रही है कि अपर मुख्य सचिव गन्ना संजय भूसरेड्डी जिनके पास विगत चार साल से गन्ना आयुक्त का भी प्रभार है। वह अपने मूल पद से दो पद नीचे के गन्ना आयुक्त के पद को छोड़ना चाहते और शासन द्वारा दो बार गन्ना आयुक्त के पद पर नियुक्ति भी की गई परंतु भूसरेड्डी की सरकार और शासन पर पकड़ के कारण कुछ ही दिनो में उन दोनो गन्ना आयुक्तों को वापस जाना पड़ा। इसके बाद से एसीएस गन्ना संजय भूसरेड्डी अपने मूल पद के साथ गन्ना आयुक्त के मलाईदार पद पर जमे हुए है। इसके साथ ही इन्होंने कारपोरेट की निजी मिलो को संरक्षण दे रखा है।

जबकि श्री भूसरेड्डी के पास इन दो विभागों के अलावा अपर मुख्य सचिव आबकारी का भी प्रभार है और इनके कार्यकाल में अवैध शराब से कई ज़िलों में हुई सैकड़ो मौतों की घटना किसी से छुपी नही है। इसके बाद भी प्रदेश सरकार इन पर मेहरबान है। विभागीय अधिकारियों में इस मसले को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि सरकार में सेटिंग-गेटिंग की वजह यह इन महत्वपूर्ण पदों पर बने हुए है। चर्चा यह भी है कि सरकार का गन्ना किसानों के बकाया भुगतान का समय पर किये जाने का दावा हवा हवाई ही साबित होगा। उधर एसीएस गन्ना संजय भूसरेड्डी कहते है कि मैं आपका जवाबदेह नही हूँ। सरकार पूछेगी तब मैं जवाब दे दूंगा।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
मोबाइल न -  7398265003