बांदा जेल जॉइन न करने पर मिली दोहरी सजा : निलंबन के अगले ही दिन जारी की डीपीसी, शिकायती जेल अफसरों पर शासन नही कर रहा कोई कार्यवाही

एक अधिकारी को ट्रांसफर होने के बाद जॉइन न करने पर प्रमोशन से वंचित रखने के साथ निलंबित तक कर दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि प्रोन्नति नही देने के लिए डीपीसी को बारह दिन तक रोके रखा गया। निलंबन से अगले ही दिन डीपीसी को आउट भी कर दिया गया।

बांदा जेल जॉइन न करने पर मिली दोहरी सजा : निलंबन के अगले ही दिन जारी की डीपीसी, शिकायती जेल अफसरों पर शासन नही कर रहा कोई कार्यवाही
बांदा जेल उत्तर प्रदेश

लखनऊ। अंधेर नगरी चौपट राजा, टका शेर भाजी, टका शेर खा जा...यह पंक्तियां शासन में बैठे जेल अफसरों पर एकदम फिट बैठती है। एक अधिकारी को ट्रांसफर होने के बाद जॉइन न करने पर प्रमोशन से वंचित रखने के साथ निलंबित तक कर दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि प्रोन्नति नही देने के लिए डीपीसी को बारह दिन तक रोके रखा गया। निलंबन से अगले ही दिन डीपीसी को आउट भी कर दिया गया। यह मामला विभागीय अफसरों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है।

बीती 10 नवम्बर को शासन ने आठ जेल अधीक्षक के तबादले किये। इसमे छह माह पूर्व झांसी से एटा भेजे गए राजीव शुक्ला को बरेली और बरेली में तैनात विजय विक्रम सिंह को  बांदा जेल पर तैनात किया गया। एटा से सेटिंग-गेटिंग से प्राइज पोस्टिंग पर बरेली भेजे गए राजीव शुक्ला ने तो तुरंत जॉइन कर लिया। किन्तु बरेली से अतिसंवेदनशील बांदा जेल भेजे गए विजय विक्रम मेडिकल अवकाश पर चले गए। बांदा मंडलीय कारागार होने की वजह से इस जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक की तैनाती होनी थी। तैनाती के समय दोनों ही अधीक्षक थे।

सूत्रों का कहना है कि शासन ने बीती 18 नवम्बर को अधीक्षक से वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन की डीपीसी कराई। चर्चा रही कि डीपीसी में पांच अधीक्षक विजय विक्रम, राजीव शुक्ला, पवन प्रताप सिंह, अनिल कुमार राय समेत पांच अधीक्षक वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन पर प्रोन्नत किये गए है। अभी यह मसला चल ही रह था कि शासन में बैठे आला अफसरों को पता चला कि बांदा स्थानांतरित किया गया अधीक्षक जॉइन करने के बजाए मेडिकल अवकाश पर चले गए हैं।

सूत्रों का कहना है कि इस पर शासन में बैठे आला अफसरों ने अधीक्षक के इस कदम को शासन के आदेश का अनुपालन न करने व अनुशासनहीनता मानते हुए निलम्बित करने का फैसला ले लिया। निलंबन के लिए 18 नवम्बर को हुई डीपीसी को रोककर 29 नवंम्बर को बांदा स्थानांतरित किये गए अधीक्षक विजय विक्रम को निलंबित कर दिया। इसके अगले ही दिन 30 नवंम्बर को डीपीसी आउट कर दी। इसमे राजीव शुक्ला, पवन प्रताप सिंह, अनिल कुमार राय समेत एक अन्य को प्रोन्नति दे दी गयी। जॉइन नही करने पर विजय विक्रम को पदोन्नति न देने के साथ निलंबित भी कर दिया। विभागीय अफसरों में चर्चा है कि एक विशेष वर्ग के नाराज लोगो को खुश करने के लिए शासन ने एक बेदाग अफसर को बलि का बकरा बना दिया वही दागदार अफसर को कमाऊ जेल पर तैनात कर दिया। उधर इस संबंध में जेल मुख्यालय व शासन के अफसरों ने इसे अनुशासनहीनता का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।

बांदा जेल के लिए ढूंढे नही मिल रहा वरिष्ठ अधीक्षक

लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग में राष्ट्रपति पदक से अलंकृत जेल अधिकारियों की भरमार है। इसके बावजूद बांदा जेल जाने को कोई भी अधिकारी तैयार नही है। हकीकत यह है जेल विभाग को बांदा जेल पर तैनाती के लिए ढूंढे वरिष्ठ अधीक्षक नही मिल रहा है। शासन ने बीते दिनों उन्नाव के अधीक्षक को बांदा जेल पर तैनात किया था। उनके लगातार मेडिकल अवकाश पर रहने की वजह से यह तैनाती की गई थी। मिली जानकारी के मुताबिक लखनऊ जेल में तैनात तेज तर्रार वरिष्ठ अधीक्षक का नाम बांदा तैनाती के लिए सामने आया था किंतु उन्होंने सेटिंग-गेटिंग से अपना नाम हटवा लिया। विभाग में तेज तर्रार अफसरों की कमी नही है लेकिन शासन को बांदा जेल में तैनाती के लिए कोई वरिष्ठ अधीक्षक ढूंढे नहीं मिल रहा है।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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