प्रभास-पूजा की लव स्टोरी, 'राधे श्याम' दिलों को छूने में नाकाम : एक्टिंग अच्छी पर सीन कर रहे हैं मजा खराब, राइटर कंफ्यूज है और लव स्टोरी वाला मजा नहीं

प्रभास न सिर्फ बहुत हैंडसम लगे हैं पर उनकी एक्टिंग भी अच्छी है। उन्होंने खास इस फिल्म के लिए, अपनी फिजिक पर कड़ी मेहनत की है, जिसकी दाद देनी पड़ेगी। पूजा हेगड़े भी बहुत खूबसूरत दिखती हैं और उनकी परफॉर्मेंस अच्छी है। ...

प्रभास-पूजा की लव स्टोरी, 'राधे श्याम' दिलों को छूने में नाकाम : एक्टिंग अच्छी पर सीन कर रहे हैं मजा खराब, राइटर कंफ्यूज है और लव स्टोरी वाला मजा नहीं
प्रभास-पूजा की लव स्टोरी, 'राधे श्याम' दिलों को छूने में नाकाम

'पुष्पा' की भव्य कामयाबी के बाद और 'वलिमै' के फ्लॉप होने के बाद फिर से एक साउथ की फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज हुई हैं। लेकिन पिछली दो फिल्मों की तरह, आज रिलीज हुई 'राधे श्याम' डब नहीं हुई है बल्कि दो भाषाओं (तमिल और हिंदी) में शूट हुई है।

राइटर कंफ्यूज है और लव स्टोरी वाला मजा नहीं : प्रभास और पूजा हेगड़े एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं। जहां पूजा डॉक्टर हैं वहीं प्रभास हाथों की लकीरें पढ़ने में माहिर हैं। कहा जाता है कि प्रभास की भविष्यवाणियां सोलह आने सच होती हैं। तो आप समझ ही गए होंगे कि एक प्रेम कहानी के साथ-साथ, यह फिल्म विज्ञान और ज्योतिष विद्या के बारे में भी है। परेशानी तो तब आती है जब डॉक्टरों के मुताबिक पूजा की जानलेवा बीमारी उसे दो महीनों से ज्यादा जिंदा नहीं रहने देगी, लेकिन प्रभास की भविष्यवाणी कहती है कि पूजा के मरने में बहुत साल बाकी हैं। एक और परेशानी का विषय यह है कि प्रभास के हाथों में प्रेम की लकीर है ही नहीं। फिर प्रभास और पूजा की प्रेम कहानी का क्या होता है, खास इसलिए क्योंकि प्रभात ज्योतिष विद्या पर बहुत ज्यादा विश्वास रखता है।

राधा कृष्ण कुमार की कहानी में आज के युवक-युवतियों के लिए कुछ विशेष नहीं है क्योंकि उन्हें भविष्यवाणियां, सितारे क्या बोलते हैं इन सब में कम दिलचस्पी है। वैसे भी, लेखक को खुद पता नहीं कि वह एस्ट्रोलॉजी को बढ़ावा देना चाहते हैं या यह साबित करना चाहते हैं की एक प्रबल इंसान या तो अपनी तकदीर खुद लिखता है या भाग्य के लिखे को बदलने की हिम्मत और साहस रखता है। राधा कृष्ण कुमार की पटकथा की सबसे कमजोर कड़ी यह है कि जब प्रभास बेहद बीमार पूजा को अपनी भविष्यवाणी का वास्ता देकर आशा की किरण दिखाता है तो पूजा के चाचा नाराज हो जाते हैं और प्रभास को हॉस्पिटल से बाहर निकालने को कहते हैं। ऐसा क्या कर दिया था प्रभास ने जो उन्हें 'गेट आउट' कर दिया गया, पूजा की हिम्मत ही तो बढ़ाने की कोशिश की थी।

क्लाइमेक्स से पहले, जब प्रभास हॉस्पिटल में बेहोश पड़ी पूजा से बात करते हैं, उस सीन में दर्शक के आंसू निकलने बहुत जरूरी हैं, मगर ऐसा नहीं होता है। क्लाइमेक्स में भले ही विजुअल इफेक्ट और कंप्यूटर ग्राफिक्स भरपूर हैं लेकिन वह स्टंट वाला क्लाइमैक्स दिलों को नहीं छूता है। अब्बास दलाल और हुसैन दलाल के डायलॉग्स ठीक है लेकिन इस प्रकार की लव स्टोरी में जबरदस्त डायलॉग्स जरूरी थे।

एक्टिंग अच्छी पर सीन मैं वो बात नहीं है :  प्रभास न सिर्फ बहुत हैंडसम लगे हैं पर उनकी एक्टिंग भी अच्छी है। उन्होंने खास इस फिल्म के लिए, अपनी फिजिक पर कड़ी मेहनत की है, जिसकी दाद देनी पड़ेगी। पूजा हेगड़े भी बहुत खूबसूरत दिखती हैं और उनकी परफॉर्मेंस अच्छी है। सचिन खेडेकर का काम काफी सराहनीय है। प्रभास की मम्मी की भूमिका में भाग्यश्री के पास कोई ठोस सीन नहीं। कुणाल रॉय कपूर की कॉमेडी कमजोर है - उनकी एक्टिंग की वजह से नहीं बल्कि कमजोर सींस के कारण। मुराली शर्मा और अनुराधा पटेल को क्यों कास्ट किया है समझ नहीं आता है। उनको बोलने के लिए डायलॉग न के बराबर हैं। पूजा की दादी से रोल में बीना औसत हैं। परमहंस के रोल में सथ्यराज की एक्टिंग औसत है।

डायरेक्शन एंड म्यूजिक : दोनों चीजें और बेहतर हो सकती थीं : राधा कृष्ण कुमार का निर्देशन कुछ विशेष नहीं है। डायरेक्टर ने बड़े कैनवस की फिल्म बनाई है और शूटिंग बहुत ही खूबसूरत लोकेशन पर की है। लेकिन फिल्म दिलों को नहीं छू पाती है। मिथुन, मनन भारद्वाज और अमाल मलिक के संगीत में मेलोडी है लेकिन ऐसी लव स्टोरी में सुपरहिट संगीत का होना अच्छा होता है। इस फिल्म में गाने हिट नहीं है। गानों के बोल (कुमार, मनोज मुंतशिर, मिथुन और रश्मि विराग) अच्छे हैं। वैभवी मर्चेंट की कोरियोग्राफी मजेदार है। संचित बल्हारा और अंकित बल्हारा का पार्श्व संगीत ठीक-ठाक है।

मनोज परमहंस के कैमरावर्क की तारीफ करनी पड़ेगी। जिस तरह फॉरेन लोकेशन आंखों को ठंडक पहुंचाते हैं, उसी तरह कैमरावर्क भी आनंद देता है। निक पॉवेल और पीटर हैंस के एक्शन सीन और स्टंट अच्छे हैं लेकिन थ्रिल एलिमेंट थोड़ा ज्यादा होना चाहिए था। कोतागिरी वेंकटेश्वर राव की एडिटिंग ज्यादा टाइट होती तो पब्लिक का मजा बेहतर होता।

नोट : कुल मिलाकर, राधेश्याम के फ्लॉप होने के चांस ज्यादा है, क्योंकि यह कहानी दिलों को नहीं छू पाती है। यह बहुत बड़े बजट में बनी है यह भी एक अहम कारण है कि इसकी लागत पूरी नहीं होगी।