संपादकीय

ओमीक्रोन के लक्षण बेशक हल्के हैं लेकिन यह वायरस अधिक संक्रामक है और लोगों को आसानी से चपेट में ले रहा है। इतना ही नहीं, सर्दी-बुखार से शुरू इसके हल्के लक्षण अब गंभीर होते जा रहे हैं और तेजी से बदल भी रहे हैं।

संपादकीय

कोरोना वायरस का खौफ लोगों में बना हुआ है. हर रोज कोरोना वायरस के कारण लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं l कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है।ओमीक्रोन वेरिएंट के बाद नए मामलों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। आबादी के विशाल आकार को देखते हुए यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि देश में खतरा कायम है और नए नए इलाके संक्रमण की जद में आ रहे हैं. खतरों के बीच यह भी देखा जा रहा है कि लोग महामारी से बचाव को लेकर बेफिक्र से भी हो चले हैं l ओमीक्रोन के लक्षण बेशक हल्के हैं लेकिन यह वायरस अधिक संक्रामक है और लोगों को आसानी से चपेट में ले रहा है। इतना ही नहीं, सर्दी-बुखार से शुरू इसके हल्के लक्षण अब गंभीर होते जा रहे हैं और तेजी से बदल भी रहे हैं। चूंकि इसके लक्षण सर्दी-फ्लू से मिलते-जुलते हैं इसलिए लोग कंफ्यूज भी हो रहे हैं और इसके तेजी से फैलने का एक बड़ा कारण यही है।

कोरोना का खौफ क्या लोगों में खत्म हो गया है ?

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के आने की आशंका को देखते हुए सरकार ने लोगों को सावधान रहने और कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने की चेतावनी भी दे दी थी। फिर भी लोग लापरवाह हो गए। बिना मास्क पहने, दो गज की दूरी है जरूरी जैसे नियमों को ताक पर रखकर बेफिक्री से घूमना - फिरना , पिकनिक मनाना इत्यादि कार्य ऐसे किये जा रहें हैं l मास्क पहनने से लोग कतरा रहे हैं l महामारी के खिलाफ अभियान में यह रवैया घातक और दूरगामी नुकसान पहुंचाने वाला माना जा रहा है l

भारी पड़ सकती है लापरवाही

भागमभाग का यह नया दौर कोरोना को हराने या उससे निर्भयता दिखाने का आत्मविश्वास नहीं है, बल्कि यह सावधानियों को बोझ समझकर उतार फेंकने का दोषपूर्ण और अवैज्ञानिक दुस्साहस है l मास्क न पहनने और अन्य सावधानियों की धज्जियां उड़ाने वाले लोग अपनी ‘आजादी' का बेहिचक प्रदर्शन तो कर रहे हैं लेकिन दूसरों की जीने की आजादी छीनने वाले कैरियर भी बन रहे हैं.

मास्क से जुड़ी प्रशासनिक और चिकित्सकीय हिदायतों को न सिर्फ भुला रहे हैं, बल्कि कई लोगों ने तो इन हिदायतों का यह कहकर पालन करने से मना कर दिया है कि इनसे कुछ होने वाला नहीं l वैश्विक स्तर पर कहा जा रहा है कि नया वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले कम घातक है, लेकिन इसकी संक्रमण दर चिंता में डालने वाली है। इसके बावजूद कोरोना संक्रमण से बचाव के परंपरागत उपायों का हम पालन करते हैं तो बचाव संभव है।मास्क, सुरक्षित दूरी और बार-बार हाथ धोना हमारे हाथ में हैं, जो बचाव का बड़ा हथियार भी है। वहीं वैक्सीनेशन दूसरा बड़ा हथियार है, जिससे बचने वालों की संख्या भी देश में करोड़ों में है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, कोरोना वायरस से ख़ुद को सुरक्षित रखने का सबसे बेसिक और महत्वपूर्ण उपाय है कि हम सफ़ाई से रहें. साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना सबसे ज़रूरी है l कोरोना वायरस की वजह से हमारे जीवन में व्यापक बदलाव आए हैं. ना केवल हमारे निजी जीवन पर बल्कि हमारे रिश्तों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है.

विपिन शर्मा 
प्रधान संपादक