विशेष सम्पादकीय : सरकार की कथनी व करनी में अंतर

हर दिन देश की दस बड़ी खबरों में से शीर्ष की कई खबरें घोटाले और भ्रष्टाचार से जुड़ी होती हैं । आज अन्याय, अत्याचार और भ्रष्टाचार इतना बढ़ रहा है कि आम आदमी का तो जीना ही मुश्किल हो रहा है।

विशेष सम्पादकीय : सरकार की कथनी व करनी में अंतर
एक ईमानदार के विपक्ष मे सभी बेईमान एक हो जाते है l

देखा जाए तो आज तमाम राजनीतिक दल सेक्युलरिज्म के नाम पर भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबी भगवा सरकार की पालकी ख़ुशी-ख़ुशी ढो रहे हैं l वे बीच-बीच में ये नारा लगाते रहते हैं कि साम्प्रदायिक शक्तियों को दूर रखने के लिए हम साथ-साथ हैं l आश्चर्य नहीं कि कुर्सी पाने के लिए ये गिने-चुने नामी गिरामी दल ऐसे दलों में शामिल हो जाएँ l हर दिन देश की दस बड़ी खबरों में से शीर्ष की कई खबरें घोटाले और भ्रष्टाचार से जुड़ी होती हैं । आज अन्याय, अत्याचार और भ्रष्टाचार इतना बढ़ रहा है कि आम आदमी का तो जीना ही मुश्किल हो रहा है। देश के किसी भी कोने में चले जाइए, किसी भी पान की दुकान पर या शाम को बाजार या मोहल्लों में होने वाली बैठकी पर। आपको देश की राजनीति और देश की दुर्दशा पर टिप्पणी करते विशेषज्ञ जरूर मिल जाएंगे। घोटालों से लेकर सियासी दांवपेच के बारे में उनका विश्लेषण सुनने लायक होता है।

आवाम समझती थी कि नागरिकों के हितों को सर्वोपरि रखने और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के वायदे के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आएगी तो हम सबका भला होगा लेकिन सियासी गलियारों में मोदी सरकार का जिक्र खूब जोर शोर से हो रहा है। भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए कार्यरत एजेंसियां कुछ मामलों में भले ही असरकारी रहीं हों, लेकिन राजनेताओं के मामले में इनकी जांच का नतीजा ढाक के तीन पात ही साबित हुआ है।

वैसे देखा जाए तो ये एक तरह से सच ही है जनता जानती है l आज के समय में करोड़ों खर्च किये बगैर कोई चुनाव नहीं जीत सकता और ये बात तो सभी दलों के नेता समझते हैं l यह तो इस राष्ट्र का दुर्भाग्य है कि दुनिया के सबसे बड़े डेमॉक्रेटिक देश की चुनाव प्रणाली मे बाह्त्तर छेद है l सामंती, माफिया, दबंग गुंडे ही चुनाव लड सकते है l हर राष्‍ट्रीय क्षेत्रीय राजनीतिक दल के प्रत्याशी चुनाव मे हुये खर्च का ब्योरा फर्ज़ी होता है l देखा जाए तो अपने देश में सेक्युलरिज्म एक ऐसे छाते की तरह है जिसे कोई भी लगाकर हर किस्म के अनैतिक कर्म करते रह सकता है l

जब तक चुनाव प्रणाली नहीं सुधरेगी तब तक भ्रष्ट और माफिया गरीब जनता का खून चूसते रहेंगे. सारे के सारे नेता किसी न किसी रूप से चोर, भ्रष्टाचारी, देश द्रोही हैं और हम सब महामूर्ख हैं जो इन गद्दारो को वोट देते है l व्यवस्था को सुधारना हमारे हाथों में ही है। इसके लिए सरकार या सुप्रीम कोर्ट का मुंह ताकने की कतई आवश्यकता नहीं पडे अगर जनता थोड़ी समझदारी से काम ले। अगर आपको चुनावों में कोई भी पार्टी पसंद नहीं है तो “राइट टू रिजेक्ट” के अलावा वोट न डालने का निर्णय भी तो कानून में दिया गया है। बस आपको मतदान केंद्र जाकर यह बताना होगा कि आपको किसी को भी वोट नहीं देना है। क्योंकि देश की जम्हुरियत ही उनकी ताकत है और जनता ही उनकी कमजोरी भी है l

हम अगर अभी सचेत नही हुए तो हम अपनी आने वाली पीढी को एक महाविनाश वाला देश देंगे l किसी ने सच ही कहा है कि एक ईमानदार के विपक्ष मे सभी बेईमान एक हो जाते है l 

किसी ने सच ही कहा है कि….

धधकती आग से धरती फटी
अधर्मी के अधर्म से आसमान
निर्दोष पे किये अत्याचार से टूटी इंसानीयत
जनता की खुद की गलती से राज कर रहे है हैवान....

सुनीता दोहरे 
प्रबंध सम्पादक / इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़