लखनऊ परिक्षेत्र डीआईजी को रहता सिर्फ लिफाफे का इंतजार : तैनाती के बाद से नही किया रेंज की किसी जेल का निरीक्षण व दौरा

इन जेलो में वार्डर की ड्यूटी में परिवर्तन, बन्दियों के राशन की मापतौल, जेलों के संचालन के लिए विविध वस्तुओ के तहत होने वाली वस्तुओं की खरीद फरोख्त के बिलों की पड़ताल, जेलो की सुरक्षा की पड़ताल के लिए नाईट गस्त, बन्दियों की समस्याएं सुनने की जिम्मेदारी परिक्षेत्र के डीआईजी को सौंपी गई है। लिफाफे के चक्कर मे यह व्यवस्था सिर्फ कागजो में सिमट कर रह गयी है।

लखनऊ परिक्षेत्र डीआईजी को रहता सिर्फ लिफाफे का इंतजार : तैनाती के बाद से नही किया रेंज की किसी जेल का निरीक्षण व दौरा
आदर्श कारागार लखनऊ

लखनऊ। प्रदेश की राजधानी लखनऊ परिक्षेत्र की जेल में अफसरों ने लूट मचा रखी है। लूट रोकने की जिम्मेदारी पाने वाले लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी जेल ने तैनाती के बाद से रेंज की किसी जेल का दौरा नही किया है। ऐसा तब है जब जेल में बन्दियों को वितरित होने वाले भोजन के राशन की मापतौल, जेल संचालन के लिए एमएसके के तहत होने वाली खरीद फरोख्त, बंदीरक्षकों की ड्यूटियों पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी इन्हीं को सौंपी गयी है।

रेंज की सभी आठ जेलों में अफसरों ने मचा रखी लूट : आलम यह है कि इन मदों से होने वाली आमदनी के हिस्से का एक लिफाफा प्रतिमाह डीआईजी को सौंपा जाता है। लिफाफे के चक्कर मे लखनऊ रेंज डीआईजी अपनी जिम्मेदारियां ही भूल गए। इससे लखनऊ रेंज की जेलो की व्यवस्था पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गयी है।

डीआईजी कहते हैं, जो मर्जी हो लिख दीजिये, हम निपट लेंगें

लखनऊ। जिला जेल लखनऊ के गल्ला गोदाम से 35 लाख रुपये की बरामदगी के बाद पिछले दिनों कैंटीन राइटर के पास से 15-16 लाख रुपये बोरे में मिलने की सूचना है। इस सवाल पर डीआईजी रेंज शैलेन्द्र मैत्रेय ने कहा कि ऐसी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। पूछने की बात कहने पर उन्होंने कहा कि आपको जो लिखना है लिख दीजिये। रेंज की जेलों के दौरा किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि दौरा तो किसी जेल का नही किया। जांच के लिए लखनऊ, सीतापुर जरूर गया था। जेलों में लूट मची होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि आपकी जो मर्जी हो लिख दीजिये।

राजधानी की आदर्श कारागार, जिला जेल, नारी बन्दी निकेतन महिला जेल, रायबरेली जिला जेल, सीतापुर जिला जेल, लखीमपुरखीरी जिला जेल, उन्नाव जिला जेल के अलावा हरदोई जिला जेल समेत लखनऊ परिक्षेत्र में कुल आठ जेल है। इन जेलो में वार्डर की ड्यूटी में परिवर्तन, बन्दियों के राशन की मापतौल, जेलों के संचालन के लिए विविध वस्तुओ के तहत होने वाली वस्तुओं की खरीद फरोख्त के बिलों की पड़ताल, जेलो की सुरक्षा की पड़ताल के लिए नाईट गस्त, बन्दियों की समस्याएं सुनने की जिम्मेदारी परिक्षेत्र के डीआईजी को सौंपी गई है। लिफाफे के चक्कर मे यह व्यवस्था सिर्फ कागजो में सिमट कर रह गयी है।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी जेल शैलेन्द्र मैत्रेय को तैनात हुए छह माह से अधिक का समय बीत चुका है। इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने जांच के अलावा शायद है रेंज की किसी जेल का दौरा किया हो। जेल मुख्यालय में बैठकर ही वह रेंज की आठ जेलों को चला रहे हैं।

आलम यह है कि जेलो में एमएसके के तहत नौ की लकड़ी नब्बे रुपये में खरीदी जा रही है। इस सच की पुष्टि एमएसके के बिलों से आसानी से की जा सकती है। इसी तरह रेंज की जेलों  में बन्दियों के राशन में 60 से 65 फीसदी की खुलेआम कटौती कर प्रतिमाह लाखों रुपये के वारे न्यारे किये जा रहे है। इसी प्रकार जो वार्डर कमाऊ जगहों पर लगे हुए है उन्हें महीनों से उसी स्थान पर तैनात कर रखा गया है।

सूत्रों की मानें तो इन मदों से होने वाली मोटी कमाई के हिस्से का एक लिफाफा प्रतिमाह डीआईजी के पास पहुँच जाता है। यही वजह है कि डीआईजी न तो राशन की मापतौल कराते है और न ही एमएसके के तहत होने वाली खरीद फरोख्त के बिलों का सत्यापन करते है। हकीकत यह है कि डीआईजी के लिफाफे की वजह से अधिकारियों ने लूट मचा रखी है।


राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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