उत्तर प्रदेश सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर रिजर्व कर्मचारियों के देय वेतन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार

याचिका में केंद्र, यूपी सरकार और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को दैनिक वेतनभोगियों के कल्याण के लिए रिपोर्ट बनाने को समिति बनाने का निर्देश देने की मांग की थी.

उत्तर प्रदेश सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर रिजर्व कर्मचारियों के देय वेतन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार
उत्तर प्रदेश सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर रिजर्व कर्मचारियों के देय वेतन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार

उत्तर प्रदेश के चार टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों को बकाया वेतन दिलाने की मांग वाली याचिका की सुनाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है l सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उचित अधिकारी के पास जाने के लिए कहा है l याचिका में कहा गया है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व, दुधवा टाइगर रिजर्व, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व और कतरनिया घाट टाइगर रिजर्व के 1200 से ज़्यादा कर्मचारियों का वेतन 13 महीने से रुका हुआ है l याचिका में केंद्र, यूपी सरकार और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को दैनिक वेतनभोगियों के कल्याण के लिए रिपोर्ट बनाने को समिति बनाने का निर्देश देने की मांग की थी.

बीते महीनें यूपी के 4 टाइगर रिजर्व (बाघ संरक्षित क्षेत्र) के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को 11 महीने का बकाया वेतन दिलाए जाने की मांग वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी l वहीं, इस याचिका में अपील की गई है कि केंद्र, उत्तर प्रदेश और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी को दैनिक वेतनभोगियों के कल्याण के लिए रिपोर्ट बनाने को समिति गठित करने का निर्देश भी दिया जाए क्योंकि वन क्षेत्र में कार्य करने वाले इन कर्मचारियों को प्रतिदिन कार्य के दौरान तमाम तरह की मुश्किलें आती हैं l जिन टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए याचिका दायर की गई है, वे पीलीभीत टाइगर रिजर्व, दुधवा टाइगर रिजर्व, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व और कतरनिया घाट टाइगर रिजर्व हैं.

जानिए याचिका में क्या की गई थी अपील? बता दें कि एडवोकेट गौरव बंसल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि इन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को मिलने वाला वेतन बहुत कम है, जबकि वास्तव में ये कर्मचारी जंगल में वन विभाग प्रशासन के आंख और कान हैं l याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसने 20 से ज्यादा ऐसे कर्मचारियों से बात की है l जानकारी से पता चला है कि 11 महीने से वेतन न मिलने के कारण वे और उनके परिवार गंभीर आर्थिक मुश्किलों के बीच जीवन निर्वाह कर रहे हैं l वहीं, इनमें से एक कर्मचारी की पत्नी ने तो आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या भी कर ली है.

आर्थिक तंगी के कारण भुखमरी के हालात : वहीं, आर्थिक तंगी के चलते पीलीभीत, दुधवा और अमानगढ़ रिजर्व के कर्मचारियों के भुखमरी के शिकार होने का खतरा सता रहा है l ऐसे में बिना वेतन के वन और वन्य जीवों की देखभाल कर रहे कर्मचारियों की संख्या 1,200 से ज्यादा है l इसलिए उनकी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट उनके कल्याण के लिए  जल्द से जल्द अपना फैसला दे.